रक्षाबंधन का त्यौहार आज है।
आजकल गुरुडम की भावना ने अपने धर्म के प्रति आम लोगों की धारणा में आशंका उत्पन्न कर दी है जो नहीं होना चाहिए था परन्तु जब भ्रम हो जाता है तो लाख प्रयत्न करने के बाद भी उसे कम नहीं किया जा सकता है।
अतः स्पष्ट कर दें कि मूहूर्त उसके लिए देखा जायेगा जिसका उपनयन संस्कार किया जाएगा, जिसका वेदाध्ययन प्रारम्भ किया जाएगा, जिसे लड़ाई के लिए प्रस्थान करना होगा। जिसने इस कामना के लिए कि मेरी हर प्रकार से सुरक्षा हो की भावना से रक्षासूत्र बांधना है। अतः सामान्य राखी पहनने हेतु कोई प्रतिबन्ध नहीं है। फिर भद्रा है अभद्रा नहीं है, भद्रा भद्र करने वाली है। पाताल की भद्रा मंगल दायक है।
अतः आज ग्यारह अगस्त को ग्यारह बजे के बाद राखी पहनिए यदि कुछ परहेज करना ही हो तो अपराह्न तीन बजे से नि: संकोच रक्षाबंधन की राखी पहनिए और ईश्वर की कृपा से मंगल मय जीवन आनन्द से यापन कीजिए। सबके मंगल की अभिलाषा रखते हुए, रक्षाबंधन की शुभकामना करता हूं। हरि ॐ।
*आचार्य हर्षमणि बहुगुणा