महत्वपूर्ण सामान्य शिष्टाचार, जो हमें बताते हैं मानव जीवन का सार, अकाल कलवित होने से बचाव हेतु ऐसे करें भोजन

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    महत्वपूर्ण सामान्य शिष्टाचार, जो हमें बताते हैं मानव जीवन का सार

    स्नान कब और कैसे करें?

    अकाल कलवित होने से बचाव

    भीष्म पितामह ने महाभारत में अर्जुन को चार प्रकार के भोजन करने के लिए यह बताया

    अपनी अँगुलियों के नाम बताओ?

    पांच जगह हँसना करोड़ों पापों के बराबर है

    महत्वपूर्ण सामान्य शिष्टाचार, जो हमें मानव जीवन का सार बताते हैं। कुंवारी बेटी अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करे तो वह पिता को अकाल कलवित होने से बचाती है। यह भी महत्वपूर्ण है कि संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है। भीष्म पितामह ने महाभारत में अर्जुन को चार प्रकार के भोजन करने के लिए यह बताया था।

    स्नान का महत्त्व: स्नान कब और कैसे करें? नियमानुसार स्नान से घर की समृद्धि बढ़ती है, अतः घर की समृद्धि बढ़ाना हमारे हाथ में है। व्रत, उपवास करने से तेज़ बढ़ता है, सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है इस मौके पर ताली बजाने से दिल मजबूत होता है। अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हों तो वह मदिरा के तुल्य होता है।

    भोजन के प्रकार के साथ कुछ महत्वपूर्ण सामान्य शिष्टाचार, जो हमें मानव जीवन का सार बताते हैं। हो सकता है इन पर कई मनुष्यों ने चर्चा की हो या पहले भी इस तरह का सन्देश प्रेषित किया हो, अतः यह पिष्ट प्रेषण न समझ कर जीवन को कुछ सार्थक बनाने के लिए समझा जाय, यह अनुरोध है।

    भीष्म पितामह ने महाभारत में अर्जुन को चार प्रकार के भोजन करने के लिए यह बताया था कि-

    1- पहला भोजन-
    जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होता है।

    2- दूसरा भोजन
    जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई या पांव लग गया तो वह भोजन की थाली विष्टा के समान होती है।

    3- तीसरे प्रकार का भोजन-
    जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, वह दरिद्रता के समान होता है।

    4- चौथे नंबर का भोजन- अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हों तो वह मदिरा के तुल्य होता है। अतः भोजन में सावधानी आवश्यक है।

    अर्जुन और भी सुनो, यह विशेष है, बेटी अगर कुमारी हो और अपने पिता के साथ एक ही थाली में भोजन करती है तो, उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती, क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है।

    अतः बेटी जब तक कुमारी रहे, तब तक अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करे। इससे वह अपने पिता को अकाल कलवित होने से बचाती है।

    स्नान कब और कैसे करें जिससे घर की समृद्धि बढ़ती है, अतः घर की समृद्धि बढ़ाना हमारे हाथ में है।

    सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए हैं।

    मुनि स्नान-
    जो सुबह 4 से 5 बजे के बीच किया जाता है।

    देव स्नान-
    जो सुबह 5 से 6 बजे के बीच किया जाता है।

    मानव स्नान-
    जो सुबह 6 से 8 बजे के बीच किया जाता है।

    राक्षसी स्नान-
    जो सुबह 8 बजे के बाद किया जाता है।
    मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
    देव स्नान उत्तम है।
    मानव स्नान समान्य है।
    राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।

    मुनि स्नान
    घर में सुख, शांति, समृद्धि, विद्या, बल, आरोग्य, चेतना प्रदान करता है।

    देव स्नान
    आप के जीवन में यश, कीर्ति, धन वैभव, सुख, शान्ति, संतोष प्रदान करता है।

    मानव स्नान
    काम में सफलता, भाग्य, अच्छे कर्मो की सूझ, परिवार में एकता, मंगलमय प्रदान करता है।

    राक्षसी स्नान
    दरिद्रता, हानि, क्लेश, धन हानि, परेशानी, प्रदान करता है।
    किसी भी व्यक्ति को आठ बजे के बाद स्नान नहीं करना चाहिए।
    पुराने जमाने में इसीलिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।
    खास कर जो घर की स्त्री होती है, उन्हें-
    चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो, पत्नी के रूप में हो, बहिन के रूप में हो या बेटी के रूप में हो।

    घर के बड़े बुजुर्ग यही समझाते हैं कि सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।
    ऐसा करने से धन, वैभव लक्ष्मी, हमारे घर में सदैव वास करती है।

    उस समय…… एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा परिवार पल जाता था और आज परिवार में चारों सदस्य भी कमाते हैं तो भी पूरा नहीं होता, उसका कारण हम खुद ही हैं। हमने पुराने नियमों को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए हैं।
    प्रकृति ……का नियम है, जो भी उस के नियमों का पालन नहीं करता, उसका दुष्परिणाम सब को मिलता हैं।

    इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमों को अपनाएं और उनका पालन भी करें। मनुष्य जीवन बार बार नहीं मिलता। अपने जीवन को सुखमय बनाएं। जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम भी बनायें।

    याद रखियेगा!
    संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।
    सुविधाएं अगर हमनें बच्चों को नहीं दी तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।
    पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगें।

    ऊपर जाने पर एक सवाल यह भी पूछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ?

    जवाब:-
    अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें:-

    (1) जल
    (2) पृथ्वी
    (3) आकाश
    (4) वायु
    (5) अग्नि

    ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी।

    पांच जगह हँसना करोड़ों पापों के बराबर है

    1- श्मशान में
    2- अर्थी के पीछे
    3- शोक में
    4- मन्दिर में
    5- कथा में

    यह संदेश सिर्फ एक बार भेजेंगे तो बहुत से लोग इन पापों से बचेंगे।
    अकेले हो? तो- परमात्मा को याद करो।
    परेशान हो? तो- ग्रँथ पढ़ो।
    उदास हो? तो- कथाएं पढ़ो।
    टेन्शन (तनाव) में हो? तो- भगवत गीता पढ़ो।
    फ्री हो?- तो अच्छी चीजें फोरवर्ड करो!

    क्या आप जानते हैं? कि हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने, पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि अगर कैन्सर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।

    व्रत, उपवास करने से तेज़ बढ़ता है, सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है आरती- के दौरान ताली बजाने से दिल मजबूत होता है।

    ये मैसेज कोई भेजने से रोकेगा, मगर आप ऐसा नहीं होने दें और मैसेज सब नम्बरों को भेजें।

    भारतीय धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि-
    ”कैन्सर” एक खतरनाक बीमारी है… बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं … बहुत मामूली इलाज करके इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है …
    अक्सर लोग खाना खाने के बाद “पानी” पी लेते हैं … खाना खाने के बाद “पानी” ख़ून में मौजूद “कैन्सर” का अणु बनाने वाले ‘सैल्स’ को ”आक्सीजन” पैदा करता है।

    ”हिन्दु ग्रंथों” में बताया गया है कि …
    खाने से पहले’ पानी पीना ‘अमृत’ है …
    खाने के बीच में ‘पानी’ पीना शरीर की ”पूजा” है …
    खाना खत्म होने से पहले ‘पानी’ पीना “औषधि” है …
    खाने के बाद ‘पानी’ पीना” बीमारियों का घर है …
    बेहतर है खाना समाप्त करने के कुछ देर बाद ‘पानी’ पीएं …

    ये बात उनको भी बताएं जो आपको “जान” से भी ज्यादा प्यारे हैं …
    रोज एक सेब, डाक्टर की जरूरत नहीं।
    रोज पांच बदाम, कैन्सर नहीं।
    रोज एक नींबू, पेट नहीं बढ़ेगा।
    रोज एक गिलास दूध, बौना पन नहीं (कद का छोटा) होगा।
    रोज 12 गिलास पानी, चेहेरे की कोई समस्या नहीं।
    रोज चार काजू, कोई भूख नहीं। रोज मन्दिर जाओ, कोई तनाव नहीं।
    रोज कथा सुनो- मन को शान्ति मिलेगी।
    “चेहरे के लिए ताजा पानी।
    मन के लिए गीता की बातें।
    सेहत के लिए योग”।
    और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करना।

    अच्छी बातें फैलाना पुण्य है, इससे किस्मत में करोड़ों खुशियाँ लिख दी जाती हैं।
    जीवन के अंतिम दिनों में इन्सान एक एक पुण्य के लिए तरसेगा।

    अतः जब तक ये सन्देश भेजते रहोगे मुझे और आपको इसका पुण्य मिलता रहेगा।

    मंगलमय जीवन की हार्दिक शुभकामनाओं सहित!

    संकलन: कथा वाचक आचार्य हर्षमणि बहुगुणा