कविता: देखो! वर्षा कहां चली गई!
कविता: देखो! वर्षा कहां चली गई!
देखो! वर्षा कहां चली गई! ...
पलायन पर कविता: फिर क्यों पहाड पलायन है?
पलायन पर कविता: फिर क्यों पहाड पलायन है?
@कवि:सो.ला.सकलानी 'निशांत'
देखो, गांव कितने सुंदर हैं!
कुछ दिन रहकर देखो तो।
गांव पर्वत कैसे लगते हैं!
कुुछ दिन आकर देखो...
आंग्ल नववर्ष की मंगलमय शुभकामनाओं के साथ एक कविता
आंग्ल नववर्ष की मंगलमय शुभकामनाओं के साथ एक कविता, अरे वर्ष के हर्ष! नव वर्ष! तू क्या रंगत भर लाया।
कवि: सो.ला.सकलानी 'निशांत'
अरे वर्ष के...